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दाम नहीं तो काम नहीं:-जल विद्युत निगम द्वारा लखवाड़ बांध प्रभावितों के विस्थापन के प्रति सुस्त रफ्तार से असंतोष

कालसी । १३ अप्रैल २०२३ को लखवाड़ बांध प्रभावित एसटी/ एससी विस्थापित जनकल्याण

PKD NEWS CHANNEL:- इलम सिंह चौहान

कालसी । १३ अप्रैल २०२३ को लखवाड़ बांध प्रभावित एसटी/ एससी विस्थापित जनकल्याण समिति लखवाड़ एवं चेयरमैन कृषि उत्पादन मंडी समिति चकराता जगमोहन सिंह चौहान के द्वारा आज एक पत्र उत्तराखंड जल विद्युत निगम के प्रबंध निदेशक को प्रेषित किया गया जिसमें उन्होंने लखवाड़ बांध प्रभावित क्षेत्र के किसानों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा है कि जल विद्युत निगम , बांध प्रभावितों के विस्थापन के प्रति बहुत ही सुस्त गति से काम कर रहा है जिससे क्षेत्र में दिन प्रतिदिन असंतोष व्याप्त हो रहा है।

विभाग द्वारा मौजा देने पर ध्यान न देकर परियोजना क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के कार्यों को करवाने की तरफ पूर्ण रूप से अपना ध्यान लगाया हुआ है जिसका बांध प्रभावित लोग बहुत विरोध कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप २७ मार्च २०२३को बांध लखवार परियोजना से प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने डाकपत्थर कार्यालय में होने वाली निविदा रद्द करवा दी थी। उन्होंने कहा कि भविष्य में बांध विस्थापित क्षेत्र के लोगों का मुआवजा तथा पूर्व में अधिग्रहण की गई भूमि का अनुग्रह अनुदान सहायता राशि तथा बांध निर्माण के लिए अधिग्रहित की जाने वाली शेष भूमि का अधिग्रहण जल्द से जल्द करने तथा उत्तराखंड शासन द्वारा बांध प्रभावितों की जनसुनवाई करने हेतु अपर जिलाधिकारी देहरादून को बांध प्रभावित क्षेत्र में जनसुनवाई करने हेतु बुलाया जाना चाहिए।

समिति के अध्यक्ष जगमोहन सिंह चौहान ने कहा कि जल विद्युत निगम अपना पूरा ध्यान निविदाएं आमंत्रित करने पर ही लगा रहा है परन्तु बांध प्रभावित क्षेत्र के किसानों के हित में कंपनसेशन को लेकर कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा पा रही है वहीं उनका यह भी कहना है कि हमारे द्वारा आज तक डाक द्वारा और मेल से जो भी पत्र उत्तराखंड जल विद्युत निगम को भेजे गए जिसमें क्षेत्र के विस्थापितों की समस्याओं को रेखांकित किया गया था विभाग द्वारा उन पत्रों का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा।

उन्होंने बताया कि मेरे मंडी क्षेत्र के अधिकतर किसान जो बांध के कारण विस्थापित हो रहे हैं, उनके आगे रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो रहा है, यमुना नदी के किनारे जो उनकी उपजाऊ जमीन थी वह तो सरकार ने बांध के लिए अधिग्रहण कर ली थी। अब रह गई पर्वतीय भूमि जो वर्षा के ऊपर निर्भर होती है इसके साथ साथ लोगों की परिसंपत्तियों का भुगतान भी अधर में लटका हुआ है। सन 2016 में व्यासी बांध प्रभावित परिवारों का मुआवजा दे दिया गया लेकिन लखवाड़ बांध प्रभावित परिवारों का मुआवजा उस समय नहीं दिया गया जब की व्यासी बांध भी लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना का हिस्सा था।

अब क्षेत्र हित और काश्तकारों के हित में यही अच्छा होगा कि पहले विभाग भूमि का अधिग्रहण करें और कंपनसेशन देने की कार्यवाही आरंभ करवाएं इसके बाद ई निविदा आमंत्रित की जानी चाहिए साथ ही साथ उन्होंने कहा कि जो पद बांध विस्थापितों के रिक्त हैं विभाग को उन्हें बेरोजगार युवाओं से जो प्रभावित विभिन्न ग्रामों के रहने वाले हैं से भरे जाने की कार्यवाही शुरू करनी चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि एडीएम स्तर की जनसुनवाई का कार्यक्रम तुरंत आरंभ होना चाहिये।

विभाग अपनी हठधर्मिता को छोड़ दे क्योंकि बांध निर्माण के लिए जिन किसानों ने अपने पूर्वजों की भूमि को कौड़ी के भाव में देश के विकास के लिए सरकार से बिना मोलभाव किए दे दिया था उनकी जन भावनाओं की तरफ विशेष ध्यान दे, अगर इसी तरह से किसानों की अनदेखी होती रही तो यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा।

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