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अनाथ बच्चों को सुरक्षित वातावरण दिलाने में बने सहभागी

लखीमपुर खीरी से संवाददाता सर्वेश शुक्ला की रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी मे कोरोना महामारी में मां-बाप को खो चुके बच्चो की मदद हेतु डायल करें 1098 व 181 : जिला प्रोबेशन अधिकारी

अनाथ बच्चों को सुरक्षित वातावरण दिलाने में बने सहभागी

आपको बताते चले कि लखीमपुर खीरी मे कोरोना संक्रमण ने बहुत सारे परिवार को तबाह कर दिया है। कई परिवार ऐसे हैं जिनमें घर के बड़े कोविड संक्रमित हो गए है। बच्चे परेशान है। उन्हें देखने वाला कोई नहीं है,कई परिवार ऐसे हैं जहां माता-पिता कोरोना की भेंट चढ़ गए हैं तथा बच्चे अनाथ हो गए है और अवसाद में हैं,यदि आपके संज्ञान में इस तरह की घटना है तो मदद के लिए

1098 या 181 अथवा बाल कल्याण समिति से तत्काल संपर्क कर सकते है,आपकी एक काल किसी बच्चे का जीवन बचा सकती है। जिन्हें मदद की आवश्यकता है, उन तक मदद पहुंचानी है, ऐसे में पड़ोसी, रिश्तेदार, दोस्त, कोई भी चाइल्डलाइन को कॉल कर सूचित करे। उक्त आशय की जानकारी जिला प्रोबेशन अधिकारी संजय कुमार निगम ने दी।

उन्होंने बताया कि किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम-2015 के अनुसार हर वो व्यक्ति जो 18 वर्ष का पूरा नहीं हुआ है, वो बच्चों की श्रेणी में आता है। बच्चों की मदद करें। उन्हे एक सुरक्षित वातावरण दिलाने में सहभागी बने, यह बच्चो का अधिकार है। आप अपना नाम गुप्त रखना चाहते है तो आपका नाम गुप्त रखा जाएगा। अगर आपके पास इस तरह की घटना संज्ञान में आती है तो तत्काल फोन करें।

उन्होंने बताया कि आज कल सोशल मीडिया पर इस तरह के संदेश बहुत प्रसारित हो रहे है कि कोरोना के कारण बहुत से बच्चे अनाथ हो गए और उनको कोई भी व्यक्ति उनके परिवार या आसपास से गोद ले सकता है, यह बिल्कुल गलत है, गैर कानूनी और अपराध है। बच्चों को सिर्फ कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से गोद लिया जा सकता है। बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) की वेबसाइट cara.nic.in पर पंजीकरण कराकर और कानूनी रूप से कार्यवाही करते हुए की जाती है किसी संस्था, अस्पताल या व्यक्ति द्वारा सीधे बच्चा गोद लेना या गोद देना दोनों अवैध व कानूनी अपराध है एवं बच्चों के अधिकार का हनन है। यदि आपके सामने कोई बच्चों को गोद लेने की पेशकश करता है तो यह गैर कानूनी है। तुरंत इसको रिपोर्ट करें उसके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्यवाही की जाएगी। किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 80 के अंतर्गत 03 वर्ष तक की कैद या 01 लाख रुपए का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान है ।

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