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इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में हो रहा है शुरू

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इंडिया जीआई फेयर और खिलौना- इंडिया टॉय ऐंड गेम्स फेयर

इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में हो रहा है शुरू

सेक्टर विशेष बी2बी शो में पूरे उद्योग का प्रतिनिधित्व और समर्थन

 

अखिल भारतीय भागीदारी और क्षेत्रीय विनिर्माण हब और क्लस्टर पर जोर इस शो को समावेशी, जीवंत और व्यापक बनाती हैं

 

‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ आत्मनिर्भर भारत को दर्शाता है

 

दिल्ली/एनसीआर – 25 अगस्त 2022- हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) को होम, लाइफस्टाइल, फैशन, फर्नीचर और टेक्सटाइल के प्रमुख निर्यात मेलों को आयोजन करने का श्रेय दिया जाता है, इसने अब दो नए शो- ‘इंडिया जीआई फेयर’ और ‘खिलौना- इंडिया टॉयज ऐंड गेम्स फेयर’ की अवधारणा की है जो 26 से 28 अगस्त 2022 को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट में एक साथ आयोजित किए जा रहे हैं. विभिन्न मंत्रालयों और उद्योग व्यापार निकायों के समर्थन से, इन बी2बी मेलों में पूरे भारत से इस उद्योग से जुड़ी भागीदारी है और ये भारत एवं विदेशों के कई खरीदारों को आकर्षित करने के लिए तैयार है. कइयों ने तो पहले से ही यहां आने के लिए रजिस्टर कराया है. इंडिया जीआई फेयर को उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, हस्तशिल्प विकास आयुक्त कार्यालय, कपड़ा मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय और द टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया का समर्थन प्राप्त है.

इंडिया जीआई फेयर भारत का अपनी तरह का पहला ट्रेड इवेंट है, जो भारत के भौगोलिक संकेत उत्पादों (ज्योग्रफिकली इंडिकेटेड प्रॉडक्ट्स) का 300 से अधिक प्रदर्शकों के जरिए जीवंत मंचों पर 6 प्रमुख कैटेगरी सेगमेंट्स- मटीरियल ऐंड वेयर्स, फूड्स ऐंड इंग्रेडिएंट्स, नेचर ऐंड वेलनेस, हैंडीक्राफ्ट्स ऐंड हैंडलूम्स, होम ऐंड कलेक्टिबल्स और फैशन ऐंड एक्सेसरीज के जरिए इस मेले में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है.

इस मेले की अवधारणा के बारे में ईपीसीएच अध्यक्ष श्री राज कुमार मल्होत्रा ने कहा, “अपने आप में एक अनुभव ये शो बनारस ब्रोकेड और साड़ी; गाजीपुर वाल हैंगिंग; मधुबनी पेंटिंग; अल्लागड्डा के पत्थर की नक्काशी; वारंगल की दरियां; तंजोर पेंटिंग; बांकुरा टेराकोटा शिल्प; कश्मीर सोजानी शिल्प; करीमगंज की चांदी की जरदोजी; असम के मूगा शिल्क; बस्तर के ढोकरा आर्ट; निर्मल टॉयज; उत्तराखंड एपन शिल्पों को स्रोत करने का एक साझा मंच प्रदान करता है. ये सूची अतुलनीय खजाने की तरह अद्भुत है. इस शो में भारत के जीआई टैग किए गए उत्पादों की सामूहिक बौद्धिक विरासत और लोकाचार का गठन किया गया है. इंडिया जीआई फेयर का उद्देश्य इन अमूल्य स्थानीय उत्पादों को, जो लीगल लोकल भी कहे जाते हैं, भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में इसकी समझ रखने वालों और गाहकों से जोड़ना है.”

ईपीसीएच महानिदेशक श्री राकेश कुमार ने बताया, “वैश्विक स्तर पर जीआई टैग उन उत्पादों को दिया जाता है जिनमें कुछ अलग खासियत या गुण हो और जिनके मूल स्थान के साथ परंपरा जुड़ी हो. भारत कई ऐसी दुर्लभ चीजों का दावा करता है, और इसमें अब तक 390 से अधिक वस्तुएं पंजीकृत हैं. इंडिया जीआई फेयर में 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 300 से अधिक जीआई उत्पादकों की भागीदारी देखी जाएगी जो एक छत के नीचे जीआई टैग धारक उत्पादकों का अब तक का सबसे बड़ा जमावड़ा होगा. इंडिया जीआई फेयर को एक अनोखे बिजनेस समझ के तौर पर देखा जा रहा है. यह अनोखे उत्पादों के साथ ही शिल्पों की अपनी क्षितिज को विस्तार देने की जगह है. यहां लोग भारत के सर्वश्रेष्ठ तैयार किए खजानों, परंपराओं और दुर्लभताओं को देख सकते हैं और स्रोत कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “इन्हें विश्व बाजारों में ले जाने की महत्वकांक्षा के साथ चयनित किया गया है, यह शो खरीदारों को भी अपनी एक सुरक्षित जगह बनाने का एक अवसर प्रदान करता है. ‘इंडिया जीआई फेयर’, एक वो जरूर आने की जगह है जहां आगंतुक बिजनेस करने के लिए सभी अहम लोगों और स्टेकहोल्डर्स से मिल सकते हैं.”

डॉ. रजनीकांत, “पदम श्री, महासचिव, मानव कल्याण संघ, वाराणसी और जीआई विशेषज्ञ ने पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में बताया जो पिछले कुछ वर्षों में जीआई में विकसित हुआ है, जिसमें भारत सरकार ने माल के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को अधिनियमित किया, जो 15 सितंबर 2003 से लागू हुआ और संसद में एक अधिनियम पारित किया गया और 2005 में एक कानून बन गया। दार्जिलिंग चाय देश का पहला जीआई टैग उत्पाद था और तब से देश में 390 से अधिक जीआई पंजीकृत उत्पाद हो चुके हैं। उन्होंने इस महत्वपूर्ण विपणन कार्यक्रम के आयोजन में ईपीसीएच के प्रयासों की प्रशंसा की, जिसका निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में गुणक प्रभाव होगा और इसके परिणामस्वरूप भविष्य में कई और जीआई का पंजीकरण होगा। उन्होंने जीआई पंजीकरण के माध्यम से भारत की बौद्धिक संपदा की रक्षा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक साल में भारत की आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर 75 नए जीआई दाखिल किए गए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

इंडिया जीआई फेयर में भाग लेने वाली अन्य संस्थानों में टी बोर्ड ऑफ इंडिया; कॉफी बोर्ड; स्पाइसेज बोर्ड इंडिया; कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण; भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड)कालीन निर्यात संवर्धन परिषद; हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद और अन्य हैं। इस शो के दौरान शिल्प/कौशल प्रदर्शन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और भौगोलिक संकेत (जीआई) पारिस्थितिकी तंत्र पर पैनल चर्चा और बाजार से जुड़ाव के माध्यम से ब्रांड प्रचार के लिए पहल जैसे अतिरिक्त आकर्षण की भी योजना बनाई गई है।

ईपीसीएच अध्यक्ष श्री राजकुमार मल्होत्रा ने कहा, “खिलौना इंडिया टॉयज ऐंड गेम्स फेयर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के साथ टॉयज ऐंड गेम्स में भारत को ग्लोबल सोर्सिंग हब बनाने के अपने लक्ष्य के साथ इस सेगमेंट में उत्पादन की अपनी पूरी क्षमता का एहसास कराने की गूंज है. वर्चुअल इंडिया टॉय फेयर, एक साल पहले आयोजित किया गया था जिसमें ईपीसीएच इसकी कार्यान्वयन एजेंसी की भूमिका में थी, वो पहला कदम था और खिलौना इंडिया फेयर उसी दिशा में एक जोरदार छलांग है.”

खिलौना इंडिया फेयर में भारत के टॉयज ऐंड गेम्स निर्माण उद्योग के एक समग्र वर्ग को इकट्ठा करना है, जहां 200 से अधिक बिजनेस का एक क्रास सेक्शन है, जिसमें मध्यम एवं छोटे निर्यातकों, कारीगर उद्यमियों और भारत के अग्रणी उत्पादकों और निर्यातकों समेत कई स्टार्ट अप शामिल हैं. इसमें 12 डिस्प्ले कैटेगरी हैं जिनमें पजल्स ऐंड बोर्ड गेम्स, सॉफ्ट टॉयज ऐंड प्ले सेट्स, राइड ऑन ऐंड पुल अलॉन्ग टॉयज, एजुकेशनल ऐंड लर्निंग गेम्स, स्टेम टॉयज ऐंड गेम्स, सब्सक्रिप्शन ऐंड हॉबी किट्स, साइकिल ऐंड पैडल व्हील्स, हैंडमेट ऐंड क्राफ्ट टॉयज, इलेक्ट्रॉनिक ऐंड प्रिसिजन टॉयज, कलेक्टिबल्स ऐंड विंटेज टॉयज, आउटडोर लिजर ऐंड गेम्स, सस्टेनेबल ऐंड इको फ्रेंडली टॉयज शामिल हैं.

आगंतुक यहां नवाचारों और उच्च दक्षता के साथ उत्पादित खिलौनों के साथ ही भारत के पारंपरिक टॉयज ऐंड गेम्स और उन्हें संग्रह करने वाली वस्तुओं के खजाने के रूप में भारत की ताकत को देख सकते हैं. वाइब्रेंट थीम एरिया में भारत के खिलौना बनाने वाले कल्स्टर एवं हब और क्षेत्रीय खिलौना शिल्पों पर रोशनी डाली जाएगी. प्राकृतिक सामग्री से बने उत्पादों पर फोकस होगा. शो के दौरान विषयगत प्रदर्शन, शिल्प व्यक्तियों द्वारा लाइव प्रदर्शन, टॉय बैंक, “खिलौने के भविष्य को फिर से तैयार करना – डिजाइन, सीखना, रचनात्मकता, उद्यमिता” पर पैनल चर्चा जैसे अतिरिक्त आकर्षण की भी योजना बनाई गई है।

ईपीसीएच के महानिदेशक श्री राकेश कुमार ने कहा, “खिलौना इंडिया बहुत ही उपयुक्त समय पर आया है जो टॉयज ऐंड गेम्स इंडस्ट्री के भविष्य की बड़ी महत्वकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है. खिलौना निर्माताओं, खास तौर पर एमएसएमई और पारंपरिक निर्माताओं को विदेशी बाजारों में उनके आकर्षण को बढ़ाने के लिए जरूरी मार्केट लिंकेज प्रदान करने के लिए और ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत के किरदार को बढ़ाने में इस तरह के व्यापार मंच बहुत अहम हैं.”

उन्होंने कहा, “भारत में निर्मित टॉयज ऐंड गेम्स उत्पादों की रेंज यहां की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं, वो शाश्वत, चिरस्थायी और संवादात्मक हैं. गुड़ियों, सॉफ्ट टॉयज, बेबी ऐंड इन्फैंट, प्री-स्कूल और बोर्ड गेम्स जैसे खिलौनों में गहन श्रम चाहिए है और इनमें विनिर्माण को बढ़ाने की अत्यधिक क्षमता है. दुनिया भर के खरीदारों और व्यापारियों के लिए टॉयस ऐंड गेम्स फेयर वो विशेष अवसर है जहां वो पारंपरिक, आधुनिक और उभरते खिलौना निर्माताओं के साथ अपने नेटवर्क बना सकते हैं, साझीदारी कर सकते हैं. यहां वो नीति निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों और शिक्षाविदों से भारतीय टॉयज ऐंड गेम्स उद्योग को समझ सकते हैं, नए ट्रेंड और अवसरों के बारे में जान सकते हैं और रणनीतिक बी2बी साझेदारी बना सकते हैं.”

 

इस दौरान पारंपरिक खिलौने जैसे कि चन्नापटना लाह के बर्तन के खिलौने, कोंडापल्ली लकड़ी के खिलौने, एटिकोप्पाका के लाह के बर्तन के खिलौने, वाराणसी के लकड़ी के खिलौने, अशरिकांडी टेराकोटा खिलौने, जयपुर कठपुतली, किन्हल लकड़ी के खिलौने, निर्मल लकड़ी के खिलौने, तंजौर टेराकोटा गुड़िया, इंदौर चमड़े के खिलौने, कडप्पा राजा-रानी की लकड़ी की गुड़िया, चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने, बिष्णुपुर के खिलौने और गुड़िया आदि को शोकेस करने पर भी जोर दिया जाएगा.

 

इस मेले में टिकाउ खिलौने, एजुकेशनल टॉयज, बोर्ड गेम्स और पजल, पारंपरिक खिलौने, छोटे बच्चों के लिए खिलौने और अन्य कई उत्पादों की विस्तृत रेंज के साथ बड़ी संख्या में स्टार्टअप भी भाग ले रहे हैं.

 

यहां दो समवर्ती शो भी आयोजित किए जा रहे हैं. एक ‘मां-शिशु एक्सपो’, जहां बच्चों के पालन-पोशन को लेकर विभिन्न प्रकार के उत्पादों, सेवाओं, सपोर्ट, सलाह और टिप्स दी जाएंगी. दूसरा स्टेम कॉनेक्सपो (STEM conexpo) जिसे एडटेक में मौजूद उभरती हुई तकनीक को सीखने के लिए एक सकारात्मक अनुभव के अवसर प्रदान करके इसके प्रतिभागियों की जिज्ञासा बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है, ये भी यहीं साथ-साथ आयोजित किया जा रहा है.

 

उम्मीद की जा रही है कि इस मेले में भारत और विदेश दोनों से आयातक, थोक व्यापारी, ब्रांड के मालिक, स्पेशलिटी स्टोर्स, खुदरा विक्रेता और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, किंडरगार्टन ऐंड स्कूल, डिजाइनर्स ऐंड मर्चेंडाइजर, प्ले ऐंड स्पेशल लर्निंग ग्रुप, आदि आएंगे.

 

जिन अंतरराष्ट्रीय खरीदारों ने मेलों में जाने के लिए पंजीकरण कराया है, उनमें सऊदी अरब के टॉयरस शामिल हैं; स्वीडन से प्लेबॉक्स; सामाको खिलौने और सऊदी अरब से अवकाश; दक्षिण अफ्रीका से छोटे पेड़ के खिलौने; संयुक्त राज्य अमेरिका से टेक्सास खिलौने वितरण; अज़रबैजान से जीटा समूह; सिटी सेंटर वाणिज्यिक कुवैत; विरासत फीता यूएसए; अल तमीमी समूह ओमान; जिरकोन स्विस फाइन फूड प्राइवेट लिमिटेड, सिंगापुर; लागत पर, कुवैत; पाली दक्षिण अफ्रीका से लड़खड़ाती है; इंडिया बाजार दक्षिण अफ्रीका आदि शामिल हैं । भारतीय खुदरा विक्रेताओं ने भी मेले में आने के लिए पंजीकरण कराया है जिनमें आर्चीज, मिंत्रा, रिलायंस रिटेल, हैमलीज और कई अन्य शामिल हैं ।

 

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